Sab Sukhi Bane||सब सुखी बने || - प्रविण डोणे Lyrics

Singer | प्रविण डोणे |
Singer | प्रितेश मांजलकर |
Music | प्रितेश मांजलकर |
Song Writer | प्रितेश मांजलकर |
गुलामी के दौर को खतम किया
भेदभाव के भाव का पतन किया
बडे दुख में थे नर नारी
पडा सब के दुख पे भारी
संविधान ने जो वरदान दिया सब सुखी बने
हर महिला, बहुजन ठाठ से एक समान बने
चिंगारी मिली हाथों में ,डूबा जिससे ॲंधियारा
शिक्षा की ज्योत जगाई, घर घर फैला उजियारा
सिखना सबको अनिवार्य किया,
प्रगती के पथ का कार्य किया ,
अब पिछडा रहा ना कोई,
मन में उम्मीद जो बोई,
संविधान जो वरदान दिया सब सुखी बने
हर महिला, बहुजन ठाठ से एक समान बने ||१||
आसमा की ना मर्यादा,ना पैरों में बंधन है
छु ली है कई बुलंदिया,उस स्त्री को अब वंदन है
दर्जा अवसर की समानता,
है संविधान की महानता,
अब अबला रही ना कोई,
छुटी बेलन और रसोई,
संविधान जो वरदान दिया सब सुखी बने
हर महिला, बहुजन ठाठ से एक समान बने
सौंपे है तुम्हे बिनमांगे अधिकारों के हथियार
सन्मानभरा हो जीवन, रहना है तुम्हे होशियार
समता स्वातंत्र्य धर्म का
ना जीना जीए कोई शर्म का
प्रगती की राह बिछाई
उसपर जो दौड लगाई
संविधान जो वरदान दिया सब सुखी बने
हर महिला, बहुजन ठाठ से एक समान बने
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